लुधियाना, 22 जून 2022 (न्यूज़ टीम): कारों की बिक्री के मासिक और तिमाही रेकॉर्ड को तोड़ने के अलावा, स्कोडा ऑटो इंडिया ने भारत में 101,111 ऑक्टेविया कारों की बिक्री के साथ एक और रेकॉर्ड अपने नाम कर लिया है। पॉर्ट्स और कंपोनेंट (सीकेडी) रूट के हिसाब से भारत में सबसे ज्यादा कारों की बिक्री का रेकॉर्ड भी स्कोडा ऑक्टेविया के नाम है। इसके अलावा, स्कोडा ओक्टाविया इसके अलावा, स्कोडा ऑक्टेविया के पास वर्तमान में भारत में लगातार बिक रही कारों में सबसे लंबे समय से चलने वाले कार ब्रांड का गौरव भी हासिल है।
स्कोडा ऑक्टेविया की इस ऐतिहासिक उपलब्धि पर स्कोडा ऑटो इंडिया के ब्रांड निदेशक श्री जैक हॉलिस ने कहा कि, “भारत में कंपनी के प्रवेश के बाद ऑक्टेविया स्कोडा ऑटो का पर्यायवाची बन गई है। जब स्कोडा ऑक्टेविया को 2001 में भारत में लॉन्च किया गया था, उसी समय से यह कार भारतीय उपभोक्ताओं को डिजाइन, तकनीक, आराम, विविधता और ड्राइविंग की गतिशीलता का बेहतरीन वैल्यू लक्जरी पैकेज प्रदान कर रही है। तब से यह भारत में सदाबहार तरीके से भारत की सबसे ज्यादा बिकने वाली सीकेडी बन गई है। हाल ही में कंपनी ने 1 लाख से ज्यादा कारों की बिक्री का आँकड़ा पार कर लिया है। इसके लिए हम अपने फैंस और उपभोक्ताओं के परिवार को धन्यवाद देना चाहते हैं, जिनके ऑक्टोविया को लगातार 2 दशकों से ज्यादा समय से दिए गए लगातार प्यार और सहयोग के कारण हम यह उपलब्धि हासिल कर पाए हैं।”
एक ऐसे युग में, जहाँ केवल बदलाव ही शाश्वत है, ऑक्टेविया ने अस्तित्व में आने के बाद चार दशकों तक लगातार उभरती चुनौतियों, बाजार की स्थितियों, आर्थिक रूप से उतार-चढ़ाव और उपभोक्ताओं की प्राथमिकता संबंधी कई चुनौतियों का सामना किया है और उनका सफलतापूर्वक मुकाबला किया है। जब भारत में दुनिया भर के देशों से नवीनतम कारें लॉन्च हो रही थी, उस समय से लेकर आज के समय तक, जब उपभोक्ताओं की पसंद और प्राथमिकता हैचबैक से सिडैन और एसयूवी तक पहुँच गई है, ऑक्टेविया अपने सदाबहार डिजाइन, शानदार क्वॉलिटी, यात्रियों और ड्राइवरों को जोड़ने में सक्षम रहकर मजबूती से अपनी जगह टिकी हुई है। अब यह भारत में सी-सेग्मेंट की सबसे सफल कारों में से एक है।
ऑक्टेविया मूल रूप से लैलेटिन भाषा का शब्द है, जिसका मतलब नंबर 8 होता है। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद ऑक्टेविया आठवीं ऑल न्यू मॉडल की कार थी। आज यह कार स्कोडा की आधुनिक जेनरेशन की कारों में आठवीं कार है, जो स्वतंत्र ऑल व्हील सस्पेंशन के साथ मिलती है। सबसे महत्वपूर्ण बात है कि संगीत में सप्तक या आठ सुरों का अंतर एक उचित अंतर होता है। संगीत के आठ सुरों की एक चक्र में घूमने वाली सरगम है और इसमें संगीत की सभी तरह की धुनों को तैयार करने के लिए इसी सरल सरगम का सहारा लिया जाता है। संगीत के आठ सुरों की सरगम से मिलते-जुलते नाम पर बिल्कुल खरे उतरते हुए ऑक्टेविया ने हमेशा उपभोक्ताओं को संतुलन, स्थिरता, विविधता और सादगी प्रदान की है। ऑक्टेविया नाम सबसे पहले 1959 में इस्तेमाल किया गया था। इसके बाद 1961 में ऑक्टेविया कॉम्बी लॉन्च की गई। इस मॉडल की कार 1971 तक बनती रही। फिर इस मॉडल का वीडब्ल्यू ग्रुप के तहत 1996 में दोबारा उत्पादन शुरू किया गया। तब कंपनी ने अनौपचारिक रूप से इसे ऑक्टेविया (ओजी) और ऑक्टेविया (ए4) का नाम दिया था।
फर्स्ट जेनरेशन ऑक्टेविया के डिजाइनर डिर्क वेन ब्रेकेल के शब्दों में, “जब हमने ऑक्टेविया के लिए पहला कस्टमर टेस्ट किया तो उसके हमें आश्चचर्यजनक नतीजे हासिल हुए। इन नतीजों से हमें पता चला कि हम वाकई कोई शानदार कार बना रहे हैं और कार का मॉडल तैयार हुआ तो वाकई यह वैसी ही कार थी, जिसे हम बनाना चाहते थे। ऑक्टेविया परंपरा, गुणवत्ता और स्पोर्ट्स में नाम कमाने के एक प्रतीक के रूप में सामने आई। इसके साथ इस कार में बैठने के लिए काफी स्पेस था। हम उपभोक्ताओं को यह सारी सुविधाएँ बेहद उचित दामों पर दे रहे थे। इन सबसे ऊपर कार का एक सदाबहार डिजाइन और क्रांति करने की जगह कार के विकास का मूलभूत सिद्धांत अपनाया गया, जिसने ऑक्टेविया को मौजूदा ऊँचाई तक पहुँचाने में सबसे प्रमुख भूमिका निभाई है।”
पहली जेनरेशन की ऑक्टेविया कार को दुनिया भर में 1996 में लॉन्च किया गया। स्कोडा की कारों में उस समय कई तकनीकी फीचर जोड़े गए। इसमें फ्रंट साइड एयरबैग्स, सभी वर्जन में पावर स्टियरिंग और टर्बो चार्ज्ड इंजन जैसी तकनीक शामिल थी।
ऑक्टेविया ए4 को भारत में 2001 में लॉन्च किया गया था, जिसके बाद 2004 में कंपनी की वीआरएस नामक कार भारत में लॉन्च की गई, जो कार निर्माण के दायरे में प्रतिष्ठित और दमदार परफॉर्मेंस का बैज रखने वाली पहली स्कोडा कार बन गई थी। वीआरएस दुनिया भर में वर्ष 2000 में लॉन्च की गई थी। वर्ष 2004 में भारत में टीडीआई, टीएसआई और वीआरएस फॉर्म में कॉम्बी को शामिल कर यह कार भारत में लॉन्च की गई थी। दरअसल वीआरएस भारत में टर्बो चार्ज्ड पेट्रोल इंजन की सबसे पहली पैसेंजर कार थी। वर्ष 2005 में ऑक्टेविया की नई जेनरेशन की कार को असली ऑक्टेविया के बुनियादी फीचर्स के साथ फिर से लॉरा ए5 का नया नाम दिया गया। प्रासंगिक अपडेट्स के साथ यह कार के लिए मजबूत माँग 2010 तक बनी रही। ए7 ऑक्टेविया वर्ष 2013 में लॉन्च की गई। वर्ष 2017 में इस कार का वीआरएस वर्जन वीआरएस 230 के साथ लॉन्च किया गया। वीआरएस 245 के साथ यह कार 2020 में पेश की गई, जो अब तक की सबसे तेज गति से चलने वाली स्कोडा कारों में एक है। इस समय मिल रही मौजूदा ऑक्टेविया कार ए8 वर्ष 2021 में लॉन्च की गई। आज यह अपनी श्रेणी में इकलौता प्रॉडक्ट है। दुनिया भर में अब सभी बॉडी स्टाइल, इंजन और मॉडलों की 7.5 मिलियन से ज्यादा ऑक्टेविया कारों की बिक्री हो चुकी है।
ऑक्टेविया देश पहला ब्रांड भी था, जिसका वर्जन सबसे अलग और हाई परफॉर्मेंस था। यह वीआरएस के साथ केवल कार की सुंदरता बढ़ाने के लिए नहीं किया गया था। आज वीआरएस के भारत में अपने आर्गेनिक क्लब और फैंस मौजूद हैं।
भारतीय बाजारों में इसी कीमत में अपनी पहली प्रीमियम सिडैन की लॉन्चिंग के साथ ऑक्टेविया ने एक अनोखा नॉच बैक डिजाइन पेश किया। क्लासिक सिडैन को पूरी भव्यता और अनुपात के साथ लॉन्च किया गया। इसमें कार में सामान रखने की जगह और ग्लास सेक्शन के साथ कार के पिछले हिस्से को ऊपर उठाने की क्षमता थी। इंजीनियरिंग के इस बुद्धिमत्तापूर्ण सॉल्यूशन ने ओक्टेविया के हैचबैक वर्जन में विविधता और पर्याप्त जगह को व्यावाहरिक रूप में शामिल किया गया। इसमें सामान रखने के लिए 528 लीटर का स्पेस दिया गया। इस स्पेस को काफी बड़े डोर के साथ 1,328 लीटर तक बढ़ाया जा सकता था, जिससे गाड़ी में सामान रखने के लिए अविश्वसनीय रूप से काफी बेहतर स्पेस ऑफर किया गया। मौजूदा ऑक्टेविया में सामान रखने के लिए 600 लीटर की जगह दी गई है, जिसे 1,555 लीटर तक बढ़ाया जा सकता है। इसके साथ ही कार में स्थिरता के साथ ऑक्टोविया के नाम से जुड़े सिद्धांतों की विचारधारा भी उपभोक्ताओं को मिलती है।