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ए.आई का वादा और खतरा: समावेशी वित्त के लिए जिम्मेदार बुद्धिमत्ता का निर्माण - अजय कुमार चौधरी, गैर-कार्यकारी अध्यक्ष एवं स्वतंत्र निदेशक, एनपीसीआई, जी.एफ.एफ 2025 में

अजय कुमार चौधरी, गैर-कार्यकारी अध्यक्ष एवं स्वतंत्र निदेशक, एनपीसीआई

लुधियाना, 08 अक्टूबर 2025 (न्यूज़ टीम):
“कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) अब हाशिये से मुख्यधारा में आ चुकी है। यह वित्तीय सेवाओं के डिज़ाइन, वितरण और अनुभव के तरीकों को बदल रही है, जिससे दक्षता, समावेशन और लचीलापन के नए द्वार खुल रहे हैं,” नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) के गैर-कार्यकारी अध्यक्ष और स्वतंत्र निदेशक अजय कुमार चौधरी ने मुंबई में आयोजित 6वें ग्लोबल फिनटेक फेस्ट (GFF) 2025 में अपने विशेष मुख्य वक्तव्य के दौरान कहा।

“ए.आई का वादा और खतरा: समावेशी वित्त के लिए जिम्मेदार बुद्धिमत्ता का निर्माण” विषय पर बोलते हुए चौधरी ने कहा कि जहाँ एआई अभूतपूर्व अवसर प्रदान कर रही है, वहीं यह जटिल चुनौतियाँ भी ला रही है जिनसे निपटने के लिए विवेकपूर्ण शासन और अंतरराष्ट्रीय सहयोग आवश्यक है।

उन्होंने बताया कि बैंकिंग, बीमा, पूंजी बाजार और भुगतान क्षेत्रों में एआई में निवेश 2027 तक लगभग 100 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुँचने का अनुमान है। 2023 में जहाँ केवल 55% वित्तीय संस्थान किसी एक कार्य में एआई का उपयोग कर रहे थे, वहीं अब यह संख्या 78% तक पहुँच चुकी है। “अब उद्योग यह नहीं पूछ रहा कि एआई महत्वपूर्ण है या नहीं, बल्कि यह सोच रहा है कि यह हमें कितनी दूर और कितनी तेज़ी से ले जाएगी। असली सवाल यह है कि क्या हम इस शक्ति का विवेकपूर्ण उपयोग करेंगे,” उन्होंने कहा।

चौधरी ने एआई क्रांति के दो प्रमुख आयामों — जेनरेटिव एआई, जो बड़े पैमाने पर निर्माण और विश्लेषण कर सकती है, और एजेंटिक एआई, जो स्वतः जटिल कार्यों को पूरा कर सकती है - को रेखांकित करते हुए कहा कि ये तकनीकें धोखाधड़ी पहचान, अनुपालन स्वचालन, ट्रेडिंग सटीकता और ग्राहक अनुभव में क्रांतिकारी बदलाव लाने की क्षमता रखती हैं। प्रारंभिक अध्ययनों से संकेत मिलता है कि वैश्विक बैंक इन तकनीकों के माध्यम से प्रति वर्ष 200 से 340 अरब अमेरिकी डॉलर की उत्पादकता वृद्धि हासिल कर सकते हैं।

साथ ही, उन्होंने एआई से जुड़ी कमजोरियों — जैसे मॉडल पक्षपात (bias), पारदर्शिता की कमी (explainability gaps), केंद्रित जोखिम (concentration risk) और प्रणालीगत निर्भरता (systemic dependencies) — के प्रति सतर्क किया। बेसल समिति, आईएमएफ और बीआईएस जैसी वैश्विक संस्थाओं ने चेतावनी दी है कि यदि एआई को बिना नियमन के अपनाया गया तो यह वित्तीय चक्रों और प्रणालीगत जोखिमों को बढ़ा सकता है।

चौधरी ने एआई इंफ्रास्ट्रक्चर में केंद्रित जोखिम (Concentration Risk) को एक प्रमुख रणनीतिक चिंता बताया। उन्होंने समझाया कि एआई पारिस्थितिकी तंत्र पाँच परस्पर-निर्भर परतों पर आधारित है — विशेष चिप्स, क्लाउड प्लेटफ़ॉर्म, विशाल डेटा सेट, फाउंडेशन मॉडल और अंतिम उपयोगकर्ता अनुप्रयोग। आज एक ही कंपनी लगभग 90% उन्नत प्रोसेसर बनाती है, तीन कंपनियाँ वैश्विक क्लाउड क्षमता पर नियंत्रण रखती हैं, और केवल कुछ ही कंपनियाँ फाउंडेशन मॉडल्स में अग्रणी हैं। ऐसी प्रणालीगत निर्भरताएँ न केवल वित्तीय स्थिरता बल्कि आर्थिक संप्रभुता और राष्ट्रीय सुरक्षा को भी प्रभावित कर सकती हैं। उन्होंने विविधीकरण और मज़बूत शासन के माध्यम से इसे सक्रिय रूप से संबोधित करने का आह्वान किया।

“इसीलिए जिम्मेदार एआई कोई नारा नहीं, बल्कि आगे बढ़ने का एकमात्र मार्ग है,” उन्होंने कहा। उन्होंने घरेलू और अंतरराष्ट्रीय सहयोग के माध्यम से निर्भरताओं को कम करने, डेटा शासन को सुदृढ़ करने और एआई-चालित युग में लचीलापन बढ़ाने का आग्रह किया।

चौधरी ने भारत की समावेशी नवाचार में वैश्विक नेतृत्व की सराहना की, और बताया कि यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) अब हर महीने 20 अरब से अधिक लेनदेन को संसाधित कर रहा है। उन्होंने एनपीसीआई की प्रमुख पहलों का उल्लेख किया - जैसे ‘UPI Lite’ जो कम बैंडविड्थ वाले क्षेत्रों में काम करता है, ‘UPI for Her’ जो महिला उद्यमियों को सशक्त बनाता है, और ‘UPI 123Pay’ जो फीचर फोन उपयोगकर्ताओं को डिजिटल भुगतान का लाभ देता है। एनपीसीआई के फेडरेटेड एआई मॉडल्स संवेदनशील डेटा साझा किए बिना धोखाधड़ी से निपटने के लिए पायलट चरण में हैं, जबकि रीयल-टाइम म्यूल अकाउंट डिटेक्शन भुगतान सुरक्षा को मजबूत कर रहा है।

उन्होंने आगे बताया कि एनपीसीआई इंटरनेशनल के माध्यम से सॉवरेन, इंटरऑपरेबल रीयल-टाइम भुगतान प्रणालियों को समर्थन देने, वैश्विक स्तर पर UPI और RuPay स्वीकृति का विस्तार करने, और जी20 के उद्देश्यों के अनुरूप सस्ती, सुरक्षित सीमा-पार रेमिटेंस कॉरिडोर बनाने की दिशा में काम कर रहा है। उन्होंने भारत कनेक्ट के इंटरनेट और मोबाइल बैंकिंग प्लेटफ़ॉर्म (IBMB) के लॉन्च की घोषणा की, जो ऑनलाइन व्यापारियों के भुगतान को मानकीकृत करेगा, साथ ही NPCI टेक सॉल्यूशंस लिमिटेड (NTSL) को गहन तकनीकी अनुसंधान और नवाचार का केंद्र बताया।

अपने संबोधन के अंत में, चौधरी ने वित्त में मानव-केंद्रित दृष्टिकोण से एआई अपनाने का आह्वान किया। उन्होंने कहा, “एआई की असली परीक्षा यह होगी कि क्या यह स्थिरता को मज़बूत बनाता है या कमज़ोर करता है। इसका उपयोग वित्त को अधिक स्थिर बनाने के लिए होना चाहिए, न कि अधिक अस्थिर। एआई को लचीलापन का साधन बनना चाहिए, अस्थिरता का कारण नहीं। यही हमारी साझा ज़िम्मेदारी है। यदि हम इसे दूरदृष्टि, अनुशासन और जिम्मेदारी के साथ अपनाएँगे, तो यह पहुँच को बढ़ाएगा, स्थिरता को सुदृढ़ करेगा और विकास को अधिक समावेशी बनाएगा। यदि हम इसमें लापरवाही करेंगे, तो यह उन्हीं कमजोरियों को बढ़ा सकता है जिनसे हम बचना चाहते हैं।”
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